हिन्दी कविता

  • जब-जब इतिहासकार मुगलों की जयकार करेंगे
    तब-तब युवा दिग्भ्रमित होगा………….
    जब-जब साहित्य समाज में विष घोलेगा
    तब-तब भारत का पतन होगा………….
    जब-जब शिक्षा से नैतिकता गायब होगी
    तब-तब अगली पीढ़ी नालायक होगी………….
    जब-जब किसान खून की आँसू रोयेंगे
    तब-तब महंगाई सबको रुलाएगी………….
    जब-जब तथाकथित बुद्धिजीवी समाज को भटकाना चाहेंगे
    तब-तब राष्ट्रभक्त उन्हें धूल चटाएंगे………….
  • जब-जब लोग अपने कर्तव्यों को भूलेंगे
    तब-तब अधिकार राष्ट्र के लिए घातक होगा………….
    जब-जब योग्य, लेकिन चरित्रहीन लोग, युवाओं के आदर्श बनेंगे
    तब-तब नई पीढ़ी के चरित्र का भी घोर पतन होगा………….जब-जब लोकतंत्र से जयचन्दों को अभयदान मिलेगा
    तब-तब भारत माता असहनीय दुःख पायेगी………….
    जब-जब न्याय अमीरों की जागीर बनेगा
    तब-तब गरीब मुजरिम ठहराया जायेगा………….
    जब-जब मिडिया टीआरपी की भूखी होगी
    तब-तब अर्धसत्य दिखाया जाएगा………….
    जब-जब फिल्में अश्लीलता परोसेंगी
    तब-तब कई ज़िंदगियाँ तबाह होंगी………….
    देशभक्तों, घोर निंद्रा अब तो त्यागो
    इससे पहले की राष्ट्र खंडित-खंडित हो जाए………….
    खड़े सैनिक सीमा पर, देश के लिए मरने को
    जरा भी गैरत बची हो तुममें, तो तुम देश के लिए जियो तो सही………….

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें