- जब-जब इतिहासकार मुगलों की जयकार करेंगे
तब-तब युवा दिग्भ्रमित होगा………….
जब-जब साहित्य समाज में विष घोलेगा
तब-तब भारत का पतन होगा………….
जब-जब शिक्षा से नैतिकता गायब होगी
तब-तब अगली पीढ़ी नालायक होगी………….
जब-जब किसान खून की आँसू रोयेंगे
तब-तब महंगाई सबको रुलाएगी………….
जब-जब तथाकथित बुद्धिजीवी समाज को भटकाना चाहेंगे
तब-तब राष्ट्रभक्त उन्हें धूल चटाएंगे…………. - जब-जब लोग अपने कर्तव्यों को भूलेंगे
तब-तब अधिकार राष्ट्र के लिए घातक होगा………….
जब-जब योग्य, लेकिन चरित्रहीन लोग, युवाओं के आदर्श बनेंगे
तब-तब नई पीढ़ी के चरित्र का भी घोर पतन होगा………….जब-जब लोकतंत्र से जयचन्दों को अभयदान मिलेगा
तब-तब भारत माता असहनीय दुःख पायेगी………….
जब-जब न्याय अमीरों की जागीर बनेगा
तब-तब गरीब मुजरिम ठहराया जायेगा………….
जब-जब मिडिया टीआरपी की भूखी होगी
तब-तब अर्धसत्य दिखाया जाएगा………….
जब-जब फिल्में अश्लीलता परोसेंगी
तब-तब कई ज़िंदगियाँ तबाह होंगी………….
देशभक्तों, घोर निंद्रा अब तो त्यागो
इससे पहले की राष्ट्र खंडित-खंडित हो जाए………….
खड़े सैनिक सीमा पर, देश के लिए मरने को
जरा भी गैरत बची हो तुममें, तो तुम देश के लिए जियो तो सही………….
।शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण, विनम्र और संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से मानवीय गरिमा, स्वाभिमान और विश्व बंधुत्व में बढ़ोतरी होती है। अंतत: शिक्षा का उद्देश्य है-सत्य की खोज।शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण, विनम्र और संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से एक अच्छी शिक्षा प्रणाली में ऐसी क्षमता होनी चाहिए जो छात्रों की ज्ञान प्राप्ति की तीव्र जिज्ञासा को शांत कर सके।
हिन्दी कविता
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