विज्ञान

पुष्पीय पौधों में लैंगिक प्रजनन

जनक पौधों द्वारा अपनी सेक्स कोशिकाओं या युग्मकों (Gametes) का प्रयोग कर नए पौधे को जन्म देने की क्रिया ‘लैंगिक प्रजनन’ कहलाती है| पादपों या पौधों में भी नर और मादा जनन अंग होते हैं। पौधों के ये जनन अंग पुष्पों और फलों के भीतर पाए जाने वाले बीजों में पाये जाते हैं। पुष्प  का नर अंग ‘पुंकेसर’ (Stamen) और मादा अंग ‘अंडप/कार्पेल’ (Carpel) कहलाता है।

जंतुओं में लैंगिक प्रजनन

माता–पिता द्वारा अपनी सेक्स कोशिकाओं या युग्मकों (Gametes) का प्रयोग कर नए जीव या संतान को जन्म देने की क्रिया ‘लैंगिक प्रजनन’ कहलाती है| मनुष्य, मछलियाँ, मेढ़क, बिल्लियाँ और कुत्ते-ये सभी लैंगिक प्रजनन द्वारा संतान को जन्म देते हैं।

पादपों में पोषण किस तरह से होता है?

पादप प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं, इसलिए उन्हें ‘स्वपोषी’ कहा जाता है| वे क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइ ऑक्साइड, जल और सूर्य के प्रकाश के माध्यम से अपना भोजन निर्मित करते हैं| पादपों में पोषण समभोजी व विषमभोजी, दो तरह से होता है|

पुरुष प्रजनन प्रणाली

मानव प्रजनन की लैंगिक पद्धति का प्रयोग करते हैं। मानव एक निश्चित उम्र के बाद ही प्रजनन क्रिया को सम्पन्न कर सकने में सक्षम हो पाता है, इसे ‘यौवन’ (Puberty) कहते हैं। मानवों जैसे जटिल बहुकोशिकीय जीवों में शुक्राणु और अंडाणु के निर्माण, शुक्राणुओं एवं अंडाणु के निषेचन और शिशु के रूप में युग्मनज (Zygote) की वृद्धि और विकास के लिए विशेष प्रजनन अंग पाये जाते हैं।

जंतुओं में पोषण किस तरह से होता है?

भोजन को ग्रहण करना तथा उसका ऊर्जा प्राप्ति और शारीरिक वृद्धि व मरम्मत के लिए उपयोग करना ‘पोषण’ कहलाता है| वे पदार्थ जो जंतुओं की जैविक क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक होते हैं, ‘पोषक पदार्थ’ कहलाते हैं| पोषण प्रणाली दो तरह की होती है: ‘स्वपोषी’ व ‘परपोषी’|जंतुओं में पोषण प्रणाली के पाँच चरण पाये जाते हैं|

कोशिका विभाजन: असूत्री, समसूत्री व अर्द्धसूत्री विभाजन

पुरानी कोशिका का विभाजित होकर नयी कोशिकाओं का निर्माण करना कोशिका विभाजन कहलाता है| कोशिका विभाजन को सर्वप्रथम 1955 ई. में विरचाऊ ने देखा था| कोशिकाओं का विभाजन तीन तरीकों- असूत्री (Amitosis ),समसूत्री (Mitosis) और अर्द्धसूत्री (Meiosis) से होता है|

पौधों में अलैंगिक प्रजनन क्या है और यह किन विधियों से होता है?

अलैंगिक प्रजनन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें नया जीव एकल जनक से बनता है और इसमें युग्मक या जनन कोशिकाओं की कोई भूमिका नहीं होती। कई एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीव अलैंगिक प्रजनन करते हैं। इस प्रक्रिया में, जनक जीव या तो विभाजित हो जाता है या फिर जनक जीव का एक हिस्सा नया जीव बनाने के लिए अलग हो जाता है। अलैंगिक प्रजनन छह प्रकार का होता है।

गोलीय दर्पण से प्रकाश का परावर्तन

गोलीय दर्पण वैसा दर्पण होता है, जिसकी परावर्तक सतह काँच के खोखले गोले का हिस्सा होती है। गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैः अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण। अवतल दर्पण में प्रकाश की परावर्तक सतह भीतर की तरफ मुड़ी हुई या अवतल सतह वाली होती है। उत्तल दर्पण में प्रकाश की परावर्तक सतह बाहर की ओर उभरी हुई या उत्तल सतह वाली होती है।

पर्यावरणीय रसायन विज्ञान क्या है?

पर्यावरणीय रसायन विज्ञान के अंतर्गत पर्यावरण में पाये जाने वाले रसायनों के स्रोत क्षेत्र, स्थानांतरण व प्रभाव के साथ-साथ पर्यावरणीय रसायनों पर मानवीय व अन्य जैविक क्रियाओं के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है| पर्यावरणीय रसायन विज्ञान की वर्तमान में पर्यावरणीय असंतुलन व प्रदूषण के अध्ययन व उनके निवारण के उपायों को खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका है|

‘पेट्रोलियम’ की निर्माण प्रक्रिया व तेल शोधन

पेट्रोलियम धरातल के नीचे स्थित अवसादी परतों के बीच पाया जाने वाला संतृप्त हाइड्रोकार्बनों का काले भूरे रंग का तैलीय द्रव है,जिसका प्रयोग वर्तमान में ईंधन के रूप में किया जाता है| पेट्रोलियम को जीवाश्म ईंधन या चट्टानी तेल’ भी कहते हैं| वर्तमान विश्व में पेट्रोलियम को ऊर्जा के स्रोत के रूप में महत्व के कारण, काला सोना भी कहा जाता है|

प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है, जो हमें वस्तुओं को देखने में सक्षम बनाता है और जिस सीधी रेखा पर वह चलता है उसे ‘प्रकाश की किरण’ कहते हैं। प्रकाश का परावर्तन वस्तु की सतह पर पड़ने वाली प्रकाश किरणों को वापस भेजने की प्रक्रिया है। एक समतल दर्पण पर रखी एक वस्तु के परावर्तन से बनने वाली छवि अलग–अलग स्थानों पर बनती है।

जैवनाशक (Biocide) और कृन्तकनाशक (Rodenticides) का प्रयोग किसलिए किया जाता है?

जैवनाशक (Biocide) एक सक्रिए रासायनिक अणु है, जिसका प्रयोग जैवनाशी उत्पाद में जीवाणुओं की वृद्धि को नियंत्रित करने या उन्हें मारने के लिए किया जाता है। ब्लीच, एथिल एल्कोहॉल, नमक, आयोडीन, पेरॉक्साइड आदि आम जैवनाशक हैं। कृन्तकनाशी (Rodenticides) वैसे रसायन होते हैं, जिनका प्रयोग फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कृन्तकों, जैसे-चूहों  को मारने के लिए किया जाता है।

आनुवांशिकी मानव के वंशानुगत गुणों को कैसे परिभाषित करती है?

माता–पिता से पीढ़ी–दर–पीढ़ी आसानी से संचरित होने वाले मौलिक गुण ‘आनुवांशिक गुण’ कहलाते हैं और आनुवांशिक गुणों के संचरण की प्रक्रिया एवं उसके कारणों का अध्ययन को ‘आनुवांशिकी’ कहा जाता है। ग्रेगर जॉन मेंडल को ‘आनुवांशिकी का जनक’ कहा जाता है। उन्होंने अलगाव, प्रभुत्व और स्वतंत्र वर्गीकरण का सिद्धांत दिया, जो आनुवांशिकी के विज्ञान का मौलिक आधार बन गया।

पादप जगत का वर्गीकरण किस तरह से किया जाता है ?

वर्गिकी (Taxonomy) वर्गीकरण का विज्ञान है, जो जीवों की व्यापक विविधता के अध्ययन को आसान बनाता है और जीवों के विभिन्न समूहों के बीच अंतर्संबंधों को समझने में हमारी मदद करता है। पादप जगत में प्रथम स्तर का वर्गीकरण पादप शरीर के अंतर, परिवहन के लिए विशेष ऊतकों की उपस्थिति, बीज धारण करने की क्षमता और बीज के फलों के अंदर पाये जाने पर निर्भर करता है।

विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

विद्युत धारावाही सुचालक अपने चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है जिसे बल की चुंबकीय रेखाओं या चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है। धारावाही प्रत्यक्ष सुचालक में चुंबकीय क्षेत्र उसके चारो तरफ संक्रेंदिक वृत्तों के रूप में होता है। प्रत्यक्ष सुचालक के माध्यम से विद्युत धारा की दिशा के संबंध में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को ‘दक्षिणहस्त नियम’, जिसे ‘मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम’ भी कहते हैं, का उपयोग कर दर्शाया जा सकता है।

सेरेमिक : एक अकार्बनिक आधात्विक ठोस

सेरेमिक एक अकार्बनिक व अधात्विक ठोस है, जिसका निर्माण धात्विक व अधात्विक पदार्थों से होता है | इसकी सतह को उच्च तापमान पर गर्म करके कठोर, उच्च प्रतिरोधकता युक्त व भंगुर (Brittle) बनाया जाता है |

धातु निष्कर्षण, पेट्रोलियम, स्टील, जंग व सीमेंट ग्लास की मूलभूत जानकारी

प्राकृतिक और अशुद्ध रूप में पाये जाने वाले खनिजों से धातुओं के शुद्ध रूप को प्राप्त करना ‘धातु निष्कर्षण’ कहलाता है | ‘पेट्रोलियम’ धरातल के नीचे प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला ज्वलनशील पदार्थ या हाइड्रोकार्बन है| ‘स्टील’ एक मिश्रित धातु है, जिसका निर्माण लौह व कुछ अन्य तत्वों, मुख्यतः कार्बन, को मिलाकर किया जाता है |

वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग के कारण और संभावित परिणाम कौन से हैं?

वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावस्वरूप पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में हुई वृद्धि को वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है | समुद्री जलस्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, वर्षा प्रतिरूप का बदलना, प्रवाल भित्तियों व प्लैंकटनों का विनाश आदि वैश्विक तापन के संभावित दुष्प्रभावों में शामिल हैं |

पृथ्वी के वायुमण्डल की संरचना व संगठन

पृथ्वी के चारों ओर व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहा जाता है, जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण पृथ्वी के साथ संलग्न है यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषण और ग्रीनहाउस प्रभाव द्वारा दिन व रात के धरातलीय तापमान को संतुलित रखकर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है|

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन : कारण और परिणाम

कोई भी गैस जो सूर्य से आने वाले लघुतरंगीय विकिरण को तो पृथ्वी पर आने देती है,लेकिन पृथ्वी से वापस जाने वाले दीर्घतरंगीय विकिरण को अवशोषित कर पृथ्वी के तापमान को बढ़ा देती है, ग्रीनहाउस गैस कहलाती है | वर्तमान में मानवीय कारणों से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा वैश्विक तापन व जलवायु परिवर्तन का कारण बन गयी है |

अयस्क में पायी जाने वाली अशुद्धियों को कैसे अलग किया जाता है?

किसी शुद्ध धातु को उसके अयस्क से प्राप्त करने की सम्पूर्ण विधि धातुकर्म (Metallurgy) कहलाती है | अयस्क को तोड़ना व पीसना, अयस्कों का सान्द्रण, धातु का निष्कर्षण और धातु का शोधन धातुकर्म के चार चरण होते हैं | अयस्क (Ore) में से अशुद्धियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को सान्द्रण कहा जाता है |

उद्विकास : अर्थ, प्रमाण और सिद्धान्त

प्रारम्भिक व आदिम जीवों में लाखों-करोड़ों वर्षों के दौरान क्रमिक रूप से कुछ ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं कि प्रारम्भिक प्रजाति से अलग एक नयी प्रजाति उत्पन्न हो जाती है, इस प्रक्रिया को ही उद्विकास (Evolution) कहा जाता है | जीवों के संबंध में इसे ‘जैव उद्विकास’ का नाम दिया जाता है |

रासायनिक अभिक्रिया और समीकरण क्या है?

प्रकाश संश्लेषण, पाचन, फलों का पकना, कागज का जलना आदि कुछ ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो पदार्थ के संघटन के साथ-साथ उसकी रासायनिक प्रकृति में भी बदलाव कर देती हैं और एक नए पदार्थ का निर्माण करती हैं अतः ऐसी प्रक्रियाओं को रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है | अभिकारकों और उत्पादों को उनके रासायनिक फॉर्मूले के साथ सांकेतिक रूप से प्रदर्शित करना रासायनिक समीकरण कहलाता है|

रेडियोएक्टिविटी : अर्थ, खोज, प्रकार और उपयोग

प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पदार्थों, तत्वों और उनके घटकों का कुछ निश्चित अदृश्य किरणों के द्वारा स्वयं विघटित होने की घटना को ‘रेडियोएक्टिविटी’ कहा जाता है | रेडियोएक्टिव पदार्थ से निकलने वाली अदृश्य किरणों को ‘रेडियोएक्टिव किरणें’ कहा जाता है | रेडियोएक्टिविटी की घटना की सर्वप्रथम खोज ए. एच. बैकुरल ने 1886 ई. में की थी और बाद में पियरे क्यूरी और मैडम क्यूरी ने इसका विस्तृत अध्ययन किया |

परमाणु संरचना क्या है?

परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है |

रबड़ क्या है और यह कितने प्रकार की होती है?

रबड़ का निर्माण भूमध्य रेखीय सदाबहार वनों के पेड़ों से निकलने वाले दूधजिसे लेटेक्स कहते हैं, से किया जाता हैं। यह एक इलैस्टोमर (Elastomer) अर्थात् एक बहुलक/पॉलीमर है जिसमें उच्च प्रत्यास्थता (Elasticity) व अपने आकार को पुनः प्राप्त करने का गुण पाया जाता है | सबसे पहले यह अमेजन बेसिन में जंगली रूप में उगता था, वहीं से यह इंग्लैंड के निवासियों द्वारा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में ले जाया गया।

मानव जीवन में रसायनशास्त्र का क्या महत्व है?

रसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटनसंरचनागुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता हैस्वयं मानव शरीर भी रासायनिक संयोजन से बना है और मानव जीवन के लिए आवश्यक पर्यावरण भी रासायनिक तत्वों का ही मिश्रण है |

साबुन और डिटर्जेंट: निर्माण व रासायनिक संरचना

साबुन व डिटर्जेंट रासायनिक यौगिक या यौगिकों का मिश्रण हैं जिनका प्रयोग शोधन/धुलाई के लिए किया जाता है | साबुन सोडियम या पौटेशियम लवण तथा वसीय अम्लों का मिश्रण होता है जो पानी में शोधन क्रिया (Cleansing Action) करता है जबकि डिटर्जेंट भी यही काम करता है लेकिन धुलाई /शोधन के लिए वह साबुन की तुलना में बेहतर होता है क्योंकि पानी की कठोरता का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |

जीवों का पाँच जगत वर्गीकरण

अध्ययन की दृष्टि से जीवों को उनकी शारीरिक रचना,रूप व कार्य के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बाँटा गया है | लीनियस को ‘आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली का पिता’ कहा जाता है क्योंकि उनके द्वारा की गयी वर्गीकरण प्रणाली के आधार पर ही आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी है| जीवों का ये वर्गीकरण एक निश्चित पदानुक्रमिक दृष्टि से  किया जाता है |

कोशिका : संरचना एवं कार्य

कोशिका जीवों की संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है, जिसकी खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में की थी | एक ही कोशिका वाले जीवों, जैसे- जीवाणु, प्रोटोज़ोआ और यीस्ट्स, आदि को एककोशिकीय प्राणी (Unicellular Organisms) और एक से अधिक कोशिका वाले जटिल जीवों को बहुकोशिकीय जीव (Multicellular Organisms) कहा जाता है |

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